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Qala Movie Review In Hindi : पुराने जमाने मे ले जायेगी तृप्ति डिमरी और बाबिल खान स्टारर यह फिल्म।

Qala Movie Review : इमोशनल कर देगी एक 40 के दसक की एक सिंगर की कहानी, रिव्यू पढ़े -


Qala Movie Review In Hindi


Qala Movie : तृप्ति डिमरी और बाबिल खान स्टारर फिल्म 'काला' नेटफ्लिक्स रिलीज़ हो चुकी है। बता दे की यह एक हिस्ट्री म्युज़िकल ड्रामा फिल्म है। जिसकी कहानी को 40 के दसक मे सेट किया गया है फिल्म मे तृप्ति डिमरी ने एक टैलेंटेड सिंगर का मुख्य किरदार निभाया है जो साइकोलॉजिकल रूप से बीमार हो जाती है। इनके अलावा फिल्म मे बाबिल खान, अमित सियाल, वरुण ग्रोवर और स्वस्तिका मुखर्जी भी है जो फिल्म मे विशेष किरदार निभा रहे है बता दे की इस फिल्म की निर्देशक अन्विता दत्त है जो इससे पहले नेटफ्लिक्स की अवार्ड विनिंग फिल्म 'बुलबुल' का निर्देशन कर चुकी है। अगर आप नेटफ्लिक्स पर 'काला' देखने जा रहे है तो उससे पहले आपको यह रिव्यू जरूर पढ़ना चाहिए। 


Qala Movie Story ('काला' फिल्म की कहानी) 


फिल्म की कहानी को 1940 के कोलकाता मे सेट किया गया है जहाँ की फिल्म इंडस्ट्री मे एक गायिका की एंट्री होती है जिसकी आवाज कोयल से मधुर है और वो अपने गानों से कानों मे मिश्री घोल देती है। हर कोई इस सिंगर का दीवाना हो जाता है और फिल्म निर्माताओं की लाइन इस सिंगर के आगे लगी रहती है। मिल रही सफलता के प्रभाव मे आकर यह सिंगर खुदको सबसे उपर समझने लगती है और अन्य गायको की फीस अपने हिसाब से तय करती है। लेकिन इसी बीच कहानी मे जगन नाम के एक रहस्यमयि सिंगर की एंट्री होती है जो अपनी आवाज से उसे रिप्लेस कर देता जिसके बाद उस गायिका की जिंदगी कशमकश मे गुजरने लगती है और फिर वह दिमागी रूप से बीमार हो जाती है। अब आगे कहानी मे जो होता है वो देखने लायक है। 


Qala Movie Review (काला मूवी रिव्यू) 


फिल्म की कहानी को एक ऐसे दशक मे सेट किया गया है जब संगीत को अधिक तवज्जो दिया जाता था और गाने वाले को भी बहुत सम्मान दिया जाता था। ऐसी ही एक सिंगर की कहानी है काला जिसे सम्मान के साथ साथ पैसा भी खूब मिलता है लेकिन उसकी जिंदगी बहुत सारे गमों से भरी होती है। फिल्म की कहानी मे आपको बहुत से ऐसे इमोशनल सीन देखने मिलेंगे जो आपके रोंगटे खड़े कर सकते है। लिरिक्स, म्युज़िक और डायलॉग इस फिल्म की सबसे खास बात है फिल्म 40 के दशक की कहानी पर आधारित है तो गाने भी उसी जमाने के लिए गए है जो की कानो को सुकून पहुंचाने का काम करते है सिनेमेटोग्राफी का लेवल बेहद शानदार है जो आपको उस दसक मे ले जायेगा जहां जाना आपके लिए रियलिटी मे बिल्कुल भी संभव नही है। कास्टिंग की बात करे तो कास्टिंग इसकी दूसरी सबसे बड़ी खासियत है। विशेषरूप से तृप्ति डिमरी का किरदार आपको मंत्रमुग्ध कर देगा उन्होंने अपने किरदार मे बेहद उम्दा काम किया है उनकी आवाज से मासूमियत और आँखो से दर्द झलकता है। इनके अलावा बाबिल खान ने भी उम्दा एक्टिंग की है उनका किरदार आपको काफी इंट्रेस्टिंग लगेगा। फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी है इसकी गति जो फर्स्ट हॉफ और सेकंड हॉफ दोनों मे ही स्लो है इसी वजह से कहानी खीची हुई लगती है। 






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