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Gulmohar Review In Hindi : पारिवारिक उतार चढ़ाव की कहानी है गुलमोहर जानिए कैसी है फिल्म।

Gulmohar Movie Review In Hindi : पारिवारिक उतार चढ़ाव की कहानी है। पूरा रिव्यू पढ़े -

Gulmohar Movie Review in hindi


'Gulmohar' Movie Review : दुनिया मे पहला कदम रखने के बाद व्यक्ति की सबसे अहम पाठशाला उसका परिवार होता है जहाँ उसे चलने, बोलने, पढ़ने और लोगों के साथ किस प्रकार का व्यवहार रखना है सभी चीजों की शिक्षा दी जाती है। इंसान कुछ भी करले लेकिन कभी अपने माँ बाप और परिवार का कर्ज नही उतार सकता। लेकिन हम जैसे जैसे उम्र के पड़ाव को पार करते है परिवार की अहमियत घटने लगती है लेकिन एक वक्त ऐसा जरूर आता है जब हमें अपने परिवार की असली कीमत समझ आती है। एक ऐसे ही परिवार की कहानी है 'गुलमोहर' जो डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज़ हो चुकी है। फिल्म मे आपको मनोज बाजपेयी और शर्मिला टैगोर लीड रोल मे देखने मिलेंगे साथ ही सिमरन, कावेरी सेठ और सूरज शर्मा जैसे शानदार कलाकार भी इसका अहम हिस्सा है। बता दे की इस फैमिली ड्रामा फिल्म का निर्देशन राहुल चित्तेला ने किया है। 


'Gulmohar' Movie Story (गुलमोहर फिल्म की कहानी) 


'गुलमोहर' की कहानी दिल्ली के बत्रा परिवार के इर्द गिर्द लिखी गई है। जिसमे दिखाया जाता है की 34 साल पुराना घर बेंचकर कुसुम बत्रा ने पुडुचेरी मे एक छोटा सा घर खरीदकर उसमे रहने का फैसला लिया है जिस वजह से पूरा परिवार दुखी है खासकर उनका बेटा अरुण दूसरी तरफ उनका पोता यानी अरुण बत्रा का बेटा भी अब अपने परिवार के साथ नही रहना चाहता क्योंकि अरुण और उसके बेटे के बीच बिल्कुल नही बनती दोनों किसी न किसी बात से झगड़ते रहते है। कुसुम बत्रा का कहना है की सभी अपनी आखिरी होली मनाकर घर से निकले। अब कैसे यह टूटता हुआ परिवार फिर से एक साथ आयेगा क्या कुसुम बत्रा दुबारा अपने परिवार के साथ खुशहाल जिंदगी बिता पायेगी यह आपको फिल्म मे देखना होगा। 


Gulmohar Movie Review ( गुलमोहर मूवी रिव्यू) 


गुलमोहर एक छोटे से परिवार की बेहद खूबसूरत और दिलचस्प कहानी है इस परिवार मे काफी उथल पुथल और साथ मे प्यार भी है। जैसा की हर भारतीय परिवार की कहानी मे होता है फिल्म मे जहाँ एक तरफ परिवार के अच्छे पलों को दिखाया गया है तो दूसरी तरफ वह पल भी दिखाये जाते है जब छोटी छोटी गलतियों की वजह से परिवार के बीच दूरी आ जाती है। गुलमोहर उन सभी सरलताओं और जटिलताओं की पड़ताल करती है जो एक परिवार के भीतर अक्सर देखने मिलती है। गुलमोहर सिर्फ बत्रा परिवार की ही नही बल्कि देश के उन सभी परिवारों की दास्तान बयाँ करती है जो आज टूट चुके है या फिर टूटने की कगार पर है। होली आने वाली है तो फिल्म मे होली का भी सिक्वेंस देखने मिलता है। फिल्म की शुरुआत बेहद इंट्रेस्टिंग है इसके पहले हॉफ मे वो सभी अच्छी चीज़े देखने मिलेगी जो एक परिवार मे होती है और दूसरा हॉफ परिवार के बुरे वक्त को दिखाता है। फिल्म की पटकथा दमदार है जो काफी तेज रफ्तार से चलती है। परिवार के बीच इमोशन,प्यार, डर गुस्सा इस फिल्म मे वो सब देखने मिलेगा जो इंडिया के हर परिवार मे देखने मिलता है। यानी की गुलमोहर रिश्तों और उनके बीच असमंजस और तालमेल की कहानी दर्शाती है। फिल्म का म्युज़िक लाजवाब है। साथ मे कोस्टयूम डिजाइन भी परिवार के हिसाब से रखा गया है। राहुल चित्तेला का निर्देशन आकर्षक है जो आपको फिल्म से बांधकर रखेगा। शानदार कलाकारों के साथ गुलमोहर हर एक किरदार के साथ न्याय करती है जहाँ हर एक किरदार एक दूसरे से अलग दिखता है। फिल्म मे मनोज बाजपेयी ने अरुण बत्रा के किरदार मे बेहतरीन पेशकश दी है उनकी परफॉर्मेंस हर तरह से बेस्ट लगती है। फिल्म को देखते वक्त 'द फैमिलीमैन' के मनोज बाजपेयी की याद आ जाती है। दूसरी तरफ कुसुम बत्रा के किरदार मे शर्मिला टैगोर ने 12 साल बाद दमदार वापसी की है उनका किरदार आपको अपने घर के किसी बड़े बुजुर्ग की याद दिला देगा। अमोल पालेकर और अन्य कलाकार भी अपने किरदारों मे खूब जमे। 

 


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