Mission Raniganj Review : अक्षय कुमार और परिणीति चोपड़ा की फिल्म 'मिशन रानीगंज' थियेटर्स मे रिलीज़ हो चुकी है। यह एक सच्ची घटना से प्रेरित फिल्म है जिसमे अक्षय कुमार ने रियल लाइफ हीरो जशवंत सिंह गिल का किरदार निभाया है जशवंत सिंग वह व्यक्ति है जिन्होंने अपनी जान की परवाह किये बिना 65 मजदूरों को मौत के मुह से निकाला था। दूसरी तरफ परिणीति चोपड़ा जशवंत सिंह की पत्नी के रोल मे नजर आती है। बता दे की फिल्म का निर्देशन टीनू देसाई ने किया है जो पहले भी रुस्तम मे अक्षय के साथ काम कर चुके है। अगर आप फ्री है और इस वीकेंड मिशन रानीगंज देखने का प्लान बना रहे तो यह रिव्यू जरूर पढ़े।
क्या है मिशन रानीगंज की कहानी (Mission Raniganj Movie Story In Hindi)
मिशन रानीगंज की कहानी 1989 मे घटी एक सत्य घटना पर आधारित है। जशवंत सिंह गिल अपनी प्रेग्नेंट पत्नी के साथ रानीगंज आते है। जशवंत पश्चिम बंगाल स्थित रानीगंज की कोयला खदान (कोल इंडिया लिमिटेड) मे बतौर रेशक्यु इंजीनियर काम रहे होते है। इसी बीच जब माइन मे हुए ब्लास्ट के बाद खदान के भीतर पानी भर जाता है। तब उस खदान मे फसे 71 लोगों को बचाने की जिम्मेदारी जशवंत सिंह गिल अपने कंधों पर ले लेते हैं। हालांकि मिशन शुरू होने से पहले ही 6 मजदूर खदान मे अपनी जान गवा चुके है अब बचे 65 लोग जिन्हे बचाने के लिए जशवंत अपनी जान भी खतरे मे डाल देते है। अब जशवंत कैसे इस मिशन को पूरा करके खदान मे फसे उन लोगों को सुरक्षित वापिस लायेंगे यह जानने के लिए आपको मिशन रानीगंज थियेटर मे देखनी होगी।
कैसी रही परफॉर्मेंस
कैप्सूल मैन जशवंत सिंह के किरदार मे अक्षय कुमार ने बेहद खूबसूरत काम पेश किया है। अक्षय ने हर बार की तरह इस नये किरदार को भी जीवंत करने मे कोई कसर नही छोड़ी। उनकी परफॉर्मेंस जशवंत सिंह के साथ न्याय करती है। लुक की बात करे तो अक्षय का लुक काफी आकर्षक है। दूसरी तरफ परिणीति चोपड़ा ने भी जशवंत की पत्नी का किरदार सिद्धत से निभाया है। परिणीति स्क्रीन पर जशवंत की पत्नी के रूप मे छाप छोड़ने मे सफल नजर आई हालांकि फिल्म मे उन्हे ज्यादा कुछ करने नही दिया गया है फिर भी जब जब वह स्क्रीन पर आती है प्रभावित करके जाती है। इनके अलावा रवि किशन, कुमुद् मिश्रा और दिव्येंदु भट्टाचार्य ने भी अपने किरदारों मे उम्दा काम किया है।
कैसी है फिल्म (Mission Raniganj Review)
रानीगंज की सत्य घटना को स्क्रीन पर बेहद बारीकी के साथ उतारा गया है। एक एक चीज का ध्यान रखते हुए टीनू देसाई ने इसे एक अच्छे सिनेमा के रूप मे पेश किया है यह फिल्म देखने के बाद पता चलता है की टीनू देसाई के विजन और डायरेक्शन मे काफी बदलाव आया है वो इस फिल्म मे बिल्कुल भी निराश नही करते है। फिल्म मे 80 के दशक को दिखाने की सफल कोशिश की गई है उस समय की बोलचाल, और लोगों का पहनावा आदि का काफी ध्यान रखा गया है और यही टीनू देसाई के निर्देशन की जीत है। शुरुआत मे कहानी धीरे धीरे आगे बढ़ती है और सेकंड हॉफ मे बुलेट ट्रेन की रफ्तार से आगे बढ़ते हुए कभी टेंशन के माहौल मे हँसाने का काम करती है तो कही हस्ते हस्ते रुला भी देती है। रेशक्यु के दौरान आपको एक उच्च लेवल का थ्रिल और सस्पेंस महसूस होगा जो एक भी पल के लिए कुर्सी से उठने नही देगा। अगर एक रियल हीरो को पर्दे पर आमने सामने देखना चाहते है तो आपको मिशन रानीगंज देख लेनी चाहिए।