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Jhund Movie Review In Hindi - बूढ़े शेर ने लगा दी जंगल मे आग |

'Jhund' Movie Review In Hindi - अमिताभ बच्चन के झुंड ने जमा दिया सिनेमाघरों मे रंग |


'Jhund' Movie : लगभग पिछले तीन सालों से अच्छी फिल्में न दे पाने की वजह से बॉलीवुड फिल्मों (Bollywood Movies) का मीटर पूरी तरह से डाउन चल रहा था और हर तरफ से बॉलीवुड की नाव डूबती दिखाई दे रही थी | लेकिन 2022 मे आकर बॉलीवुड ने दर्शकों को कुछ ऐसी फिल्में दी जिन्होंने बॉलीवुड के नाम को एक बार फिर जीवंत करने का भरपूर काम किया है, इस साल 'गंगूबाई काठियावाडी' (Gangubai Kathiawadi) और 'लव हॉस्टल' (Love Hostel) जैसी फिल्में रिलीज़ हुई जो फिल्म जगत मे गेम चेंजर साबित हुई और अब बॉलीवुड को और ऊंचाई तक पहुँचाने के लिए महानायक अमिताभ बच्चन की मोस्ट अवेटेड फिल्म 'झुंड' सिनेमाघरों मे दस्तक दे चुकी है | ये एक स्पोर्टस ड्रामा फिल्म है जिसकी कहानी स्लम सॉकर के संस्थापक विजय बरसे की पूरी जिंदगी पर आधारित है इसे मराठी ब्लॉकबस्टर फिल्म सैराट (Sairat) के निर्देशक नागराज मंजुले ने निर्देशित किया है जिसमे अमिताभ बच्चन (Amitabh Bacchan) विजय बरसे के लीड रोल मे है, फिल्म मे अमिताभ के अलावा आकाश थोसर, रिंकू राजगुरु, शालू ठाकुर सहित अंकुश गेडम भी अहम भूमिका मे है जबकि फिल्म का निर्माण भूषण कुमार ने किया है |


Jhund Movie Review in hindi


'Jhund' Movie Story In Hindi (फिल्म झुंड की कहानी क्या है?) 


झुंड स्लम सॉकर एनजीओ चलाने वाले विजय बरसे (Vijay Barse) के जीवन मे घटी सच्ची घटनाओ पर आधारित कहानी है जिसमे अमिताभ बच्चन विजय के मुख्य किरदार मे है , विजय एक कॉलेज से निरस्त प्रोफेसर है जिनके ऊपर झुग्गी झोपड़ी मे रहने वाले बच्चो को सुधारकर उन्हे एक अच्छा आदमी बनाने का भूत सवार है लेकिन ऐसा करना विजय के लिए बिल्कुल भी आसान नही होता क्योंकि वो सभी बच्चे नशा ,चोरी, लूटपाट जैसी बुरी आदतों मे फसे होते है विजय इन सभी बच्चो को गंदी आदतों से दूर रखकर एक नेशनल फुटबॉल टीम बनाना चाहते है | कई मुश्किलों के बाद विजय बच्चो के मन मे फुटबॉल के प्रति एक पॉजिटिव सोच बनाने मे कामयाब हो भी जाते है लेकिन समाज मे रहने वाले कुछ लोग अपनी ओझि मानसिकता के चलते विजय और उन बच्चो के विरोध मे उतर जाते है जो सुधरना चाहते है | कहानी मे विजय को कई बड़े उतार चढ़ाओ का सामना करना पड़ता है अब फिल्म मे आपको देखना ये होगा की कैसे विजय इस झुंड को नेशनल फुटबॉल टीम (National Football Team) बनाने मे कामयाब होते है और अपने सामने आने वाली चिनौतियो का किस तरह से मुकाबला करते है |


'Jhund' Movie Review ( कैसी है अमिताभ बच्चन की फिल्म झुंड ) 


झुंड एक रियल कहानी है जिसे नागराज मंजुले ने सटीक तरीके से पूरी मेहनत के साथ निर्देशित करके इसे चमका दिया है, इस फिल्म के लिए उन्हे कम से कम एक सैल्यूट तो बनता ही है फिल्म मे अमिताभ बच्चन ने अपने अभिनय मे कोई कसर न रखते हुए ये साबित कर दिया है की शेर बूढ़ा जरूर हो चुका है लेकिन ताकत उसमे उतनी ही है जितनी जवानी मे थी इसका मतलब तो आप समझ ही गए होंगे फिल्म मे बाकी सपोर्टिंग कास्ट ने भी पूरी मेहनत की है अपना बेस्ट देने के लिए और वो अपने अभिनय से फिल्म को एक अलग लेवल का स्पोर्ट ड्रामा बनाने मे कामयाब भी रहे | फिल्म मे स्पोर्ट के अलावा ऐसे सामाजिक मुद्दों को भी छुआ गया है जो इस समाज को आगे बढ़ने से रोकते है ये फिल्म ऐसे लोगों पर कटाक्ष करती है जो किसी बिगड़े हुए आदमी को सुधरते और आगे बढ़ते हुए बिल्कुल भी नही देखना चाहते फिल्म मे गानो के लिरिक्स अमिताभ भट्टाचार्य ने तैयार किये है और इन्हे अजय अतुल की जोड़ी ने आपके कानों तक पहुंचाया है| फिल्म का हर एक गाना अपनी जगह पर फिट बैठता है जो आपके अंदर जोश भरने का काम भी करता है | अगर आप अमिताभ बच्चन के फैन है और आपको हर बार कुछ अलग मेहसूस करने की आदत है तो आप इस फिल्म को देख सकते है |







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